वैदिक वाङ्मय में राष्ट्रीय भावना
सामाजिक उत्कर्ष एवं समाज में सुख-समुन्नति हेतु जन-जन में राष्ट्रीय भावना होना आवश्यक है; क्योंकि राष्ट्रीय भावना से मनुष्य की आत्मीयता का दायरा बढ़ता है, जिससे उसकी संकीर्ण स्वार्थ-परायणता पर अंकुश लगता है। फलतः अपराध, अविश्वास, वैर, द्वेष सभी समाप्त हो जाते हैं और वह 'वसुधैव कुटुम्बकम्' के...
محفوظ في:
المؤلف الرئيسي: | |
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التنسيق: | كتاب |
منشور في: |
Dr. Chinmay Pandya,
2016-01-01T00:00:00Z.
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